हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सभी छोटी-छोटी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। हमारे लिए उन सभी चीजों की कीमत महज चंद रुपये है, लेकिन कोई उन छोटी-छोटी चीजों से भारी मुनाफा कमा रहा है। संभावनाएं तलाशने की कला आम आदमी को बड़ा कारोबारी बनाती है। जैसे इस हुनर ने एक आम आदमी को करोड़ों की कंपनी का मालिक बना दिया। जी हां, इस शख्स ने इडली डोसा जैसा आम नाश्ता बेचकर करोड़ों की कंपनी बनाई है। आइए जानते हैं इस प्रतिभाशाली व्यक्ति के बारे में:
आईडी फ्रेश के मालिक पीसी मुस्तफा
इडली डोसा ने पीसी मुस्तफा जैसे आम इंसान की पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी। व्यापार करना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन मुस्तफा जिन परिस्थितियों में पले-बढ़े और उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाना, वहां से व्यापार करना बड़ी बात है। मुस्तफा के पिता कुली थे। ऐसे में उनके पास हमेशा संसाधनों की कमी रहती है। हां, लेकिन मुस्तफा के साथ यह अच्छी बात थी कि जिंदगी की तमाम मुश्किलें भी उन्हें कभी हरा नहीं पाईं। रेडी टू ईट खाने के शौकीनों के लिए आईडी फ्रेश कोई नया नाम नहीं है। पीसी मुस्तफा ने आईडी फ्रेश जैसी रेडी-टू-ईट कंपनी की स्थापना की है।
पहले फेल हुआ फिर सीखा
वायनाड के एक गांव चेन्नालोड में जन्मे मुस्तफा अब 48 साल के हो गए हैं। मुस्तफा ने पैदा होते ही सबसे पहले गरीबी देखी। पिता एक कॉफी के बागान में कुली का काम करते थे। वह पढ़ाई में होनहार था लेकिन घर की परिस्थितियों ने उसे पढ़ने का समय नहीं दिया। स्कूल से आने के बाद मुस्तफा सीधे अपने पिता के काम में मदद करने जाते थे। कोई पिता नहीं चाहता कि उसका बच्चा पढ़ाई और काम छोड़ दे, लेकिन यहां मामला परिवार का पेट भरने का था इसलिए मजबूर मां-बाप भी थे।
काम की वजह से मुस्तफा पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे। यही वजह रही कि छठी क्लास में फेल हो गया। लेकिन उन्हें यह असफलता पसंद नहीं आई और इसके बाद उन्होंने काफी मेहनत की और 10वीं की परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया। 10वीं की सफलता के बाद मुस्तफा समझ गए कि अगर उन्हें जीवन में कुछ भी हासिल करना है तो उनके लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। मुस्तफा ने अपनी कड़ी मेहनत से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया और कड़ी मेहनत की। इसी मेहनत का नतीजा यह हुआ कि एक कुली के बेटे को अमेरिका में एक भारतीय स्टार्टअप मैनहट्टन एसोसिएट्स में नौकरी मिल गई।
100 पैकेट से 50000 पैकेट
जिंदगी अब पटरी पर थी लेकिन मुस्तफा संतुष्ट नहीं थे। उन्हें कुछ बड़ा करना था और इसी चाहत में उन्होंने एक के बाद एक कई सेक्टरों में काम किया। वह वर्ष 2003 में भारत लौट आए जब उन्हें कहीं भी उपयुक्त नौकरी नहीं मिली। हालांकि उस वक्त कई लोगों को उनका फैसला गलत लगा होगा, लेकिन मुस्तफा को खुद पर और अपनी काबिलियत पर भरोसा था। भारत लौटने के बाद अब उन्हें कुछ नया शुरू करना था। कुछ नया शुरू करने की सोच ने उनके मन में आईडी फ्रेश के विचार को जन्म दिया। साल 2005 की बात है जब मुस्तफा ने महज 25,000 रुपये के निवेश से इस सोच को हकीकत में बदला था। हालांकि इसकी औपचारिक शुरुआत साल 2010 से मानी जाती है। मुस्तफा की इस कंपनी में इडली डोसा बनाने के लिए जरूरी मिश्रण बेचा जाता है। इस नए काम में उन्हें अपने चचेरे भाइयों का सहयोग मिला।
एक समय था जब मुस्तफा की कंपनी एक दिन में अपने उत्पाद के केवल 100 पैकेट ही बेच पाती थी। आज वही कंपनी एक दिन में 50,000 पैकेट बेचती है। इसके साथ ही इस कंपनी ने 650 लोगों को रोजगार दिया है। भारत में अपने कारोबार का विस्तार करने के बाद यह कंपनी अब दुबई में भी पैर जमाने की कोशिश कर रही है।
500 करोड़ तक का टर्नओवर
जब पीसी मुस्तफा ने अपनी कंपनी शुरू की तो पहले दिन 5,000 किलो चावल से 15,000 किलो इडली का मिश्रण तैयार किया गया। इसके बाद वह इस मिश्रण को स्कूटर पर लादकर बेचने निकला। आज वही कंपनी सैकड़ों दुकानों और शहरों में तब से चार गुना ज्यादा मिक्स बेच रही है। मुस्तफा ने गांव वालों को अपने साथ बढ़ने का मौका दिया। आज उनकी कंपनी ग्रामीणों को रोजगार दे रही है। आज देश के ब्रेकफास्ट किंग कहे जाने वाले पीसी मुस्तफा की कंपनी साल 2015-2016 में 100 करोड़ का कारोबार कर रही थी। वर्ष 2017-1018 में यह बढ़कर 182 करोड़ हो गया और वर्ष 2019-2020 में इसका कारोबार 350-400 करोड़ तक पहुंच गया।