गुजरात में मुख्यमंत्री इस्तीफा दे चुके हैं और वहीं पर गुजरात को नया मुख्यमंत्री भी मिल गया! लेकिन इस बीच रविवार को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की बेटी राधिका रुपाणी ने अपने फेसबुक के पेज से एक पोस्ट को लिखकर अपने पिता के संघर्ष के बारे में पूरी दुनिया को बताया है!
राधिका ने अपनी इस पोस्ट के जरिए उन सभी लोगों को आईना दिखाया है जिन्होंने उनके पिता की मृदुभाषी छवि को उनके फेल होने का कारण बताया है! आपको बता दें कि राधिका ने लिखा है कि क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता नहीं होनी चाहिए? क्या यह एक आवश्यक गुण नहीं है जो हमें एक नेता के अंदर चाहिए? क्या नेता अपनी मृदुभाषी छवि के जरिए लोगों की सेवा नहीं करते?
वही उनकी बेटी ने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि मेरे पिता का संघर्ष साल 1979 से शुरु हो गया था उस दौरान उन्होंने गुजरात के अंदर जितने भी मामले हुए हैं अपनी जा न दांव पर लगाकर लोगों की सेवा की है इतना ही नहीं ताउते तूफान और यहां तक की कोविड के दौरान भी मेरे पिताजी पूरी जी-जान लगाकर कार्य कर रहे थे!
अपने इस पोस्ट में राधिका ने आगे कहा कि साल 2002 में स्वामीनारायण अक्षर धाम मंदिर पर आ तंकी हम ले के समय मेरे पिता उस स्थान पर पहुंचने वाले पहले इंसान थे वह नरेंद्र मोदी से पहले ही मंदिर परिसर में पहुंच गए थे! वही उनकी बेटी ने आगे कहा कि उनके पिता 2008 में भूकंप के दौरान बचाव में बचाव और पुनर्वास का कार्य कर रहे थे और इस दौरान उनको और उनके भाई ऋषभ को भू कंप को समझने के लिए कच्छ का रण में ले गए थे!
पोस्ट में राधिका के लिखती है कि जब हम लोग बच्चे हुआ करते थे तो मेरे पिता रविवार को हमें मूवी थिएटर में नहीं ले जाया करते थे बल्कि इसकी जगह है बीजेपी कार्यकर्ताओं के घर आया करते थे! इसके साथ ही राधिका ने कहा कि मेरे पिता ने कई ऐसे बड़े कदम उठाए हैं! लव जि हाद, गुजरात आतं कवाद नियंत्रण और संगठित अप राध अधिनियम जैसे फैसले इस बात के सबूत है और मैं पूछना चाहती हूं कि क्या कठोर चेहरे का भाव पहनना ही एक नेता की निशानी है?