तिरुपति बालाजी मंदिर की पूजा व्यवस्था में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में पूजा कैसे करनी है, यह तय करना कोर्ट का काम नहीं है, क्योंकि मंदिर में पूजा के दौरान नारियल कैसे तोड़ें? कैसे करें आरती? यह अदालत फैसला नहीं कर सकती। संवैधानिक अदालतें मंदिर के अनुष्ठानों में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।
तिरुपति बालाजी मंदिर में पूजा-पद्धति में हस्तक्षेप से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
कहा- संवैधानिक कोर्ट किसी मंदिर के दैनिक कार्यों की जांच नहीं कर सकता है
पूजा-विधि पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई से किया मना#TirupatiBalaji #SupremeCourt
— Panchjanya (@epanchjanya) November 16, 2021
CJI एनवी रमना ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई कमी है तो हम उन्हें सुधारने के लिए कह सकते हैं, लेकिन हम पूजा के दिन-प्रतिदिन के तरीके में हस्तक्षेप नहीं कर सकते. CJI ने जोर देकर कहा कि हम एक बार फिर स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि अदालतें पूजा की रस्मों में कैसे हस्तक्षेप कर सकती हैं? यह जनहित याचिका के नाम पर एक जनहित याचिका है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस एएस बोपन्ना ने कहा कि रिट याचिका में मामले का फैसला नहीं किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह पूजा और पूजा का मौलिक अधिकार है। इस पर न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने कहा कि निजी पूजा का अधिकार है लेकिन मंदिर में पूजा व्यवस्था कैसी होनी चाहिए यह मौलिक अधिकार नहीं है।