भारत के अंदर आज भी ऐसे कई परिवार हैं जो कि शानो शौकत से जिंदगी जिया करते हैं और हमेशा ही सुर्खियों में बने रहते हैं इन राजा महाराजाओं के पास संपत्ति की भी कोई कमी नहीं होती है और यह अपनी जिंदगी बड़ी शान से जीने के लिए ही जाने जाते हैं लेकिन बड़ौदा की महारानी राधिका राजे गायकवाड की कहानी बाकी शाही परिवार से बिल्कुल ही अलग है महारानी दिखने में तो काफी खूबसूरत हो और आकर्षक हैं लेकिन वह ठाठ बाट की जिंदगी जीना नहीं बल्कि एक आम इंसान की तरह जिंदगी जीना ही पसंद करती है तो आइए जानते हैं राधिका राजेश गायकवाड से जुड़ी हुई कुछ खास बातों के बारे में-
राधिका राजे का जन्म वांकानेर के शाही परिवार में हुआ उनके पिता यानी कि वांकनेर के महाराज कुमार डॉ रंजीत सिंह शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले एकमात्र ऐसे इंसान हुआ करते थे जिन्होंने शाही परिवार का सुख छोड़कर आईएएस अधिकारी बनने का फैसला लिया था वही उनकी बेटी की राधिका का भी यही कहना है कि वह अपने शाही परिवार की चमक दमक के बजाय एक वास्तविक जीना पसंद करती है! जानकारी के लिए बता दें कि शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली महारानी राधिका ने बड़ोदरा के महाराज समरजीत सिंह से शादी की थी!
राधिका राजे का कहना है कि साल 1984 के अंदर भोपाल के अंदर जो त्रा सदी हुई थी तो इस दौरान मेरे पिता वहां के कमिश्नर के रूप में तैनात थे इस दौरान मेरी उम्र मात्र 6 साल की थी लेकिन मुझे आज भी याद है कि मेरे पिता अपनी ड्यूटी करने के साथ-साथ लोगों उस रात मैंने पहली चीज यह सीख ली कि आप बिना उंगली उठाए चीजों के ठीक होने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं यह एक ऐसी चीज थी जो मैंने अपने पिता से बड़े होने के दौरान सीखी!
राधिका राजे का यह भी कहना है कि हम लोग बहुत ही सामान्य जिंदगी जिया करते थे इसलिए जब भी मैं गर्मियों की छुट्टी के दौरान वांकनेर जाती थी तो वहां के लोगों से मिलने वाला आदर सत्कार मुझे बहुत ही अच्छा लगता था मुझे शुरु से ही अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना ही पसंद था इसलिए इतिहास में ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने नौकरी ढूंढना ही शुरु कर दिया 20 साल की आयु में मुझे इंडियन एक्सप्रेस में बतौर लेखिका जो मिल गई थी इस जॉब के साथ साथ ही मैंने अपनी मास्टर डिग्री भी पूरी की थी मैं अपने परिवार की पहली ऐसी महिला थी जो बाहर जाकर नौकरी वही जबकि मेरे चचेरे भाइयों की शादी मात्र 21 साल की उम्र में ही हो गई थी!
वहीं उन्होंने यह भी बताया है कि उन्होंने करीब 3 साल तक पत्रकार की जॉब की है इसके बाद उनके माता-पिता ने शादी की तैयारी शुरू कर दी थी! राधिका राजे का कहना है कि बड़ौदा के राजकुमार समरजीत सिंह से मिलने से पहले भी मैं कुछ पुरुषों से मिल चुकी थी लेकिन समरजीत के विचार बाकी लोगों से बिल्कुल अलग से जब मैंने उनसे आगे पढ़ने लिखने की बातचीत की तो उन्होंने इसमें मेरा साथ दिया और मुझे आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया!
राधिका राजे का मानना है कि शादी के बाद उनको अपनी असली पहचान मिल गई खबरों की माने तो शादी के बाद राधिका बड़ौदा की लक्ष्मी विलास पैलेस में रहती है इस दौरान उन्होंने प्लेस की दीवारों पर लगी पेंटिंग से प्रेरित होकर नया काम भी शुरू किया है राधिका राजे ने इस बारे में बताया है कि बड़ौदा महल की दीवारों पर राज रवि वर्मा की पेंटिंग लगी हुई थी मैंने सोचा था कि क्यों ना इस पेंटिंग से प्रीत बुनाई की पुरानी तकनीकों को नया किया जाए इस तरीके से स्थानीय बुनकरों को भी सशक्त बना सकती थी मैंने अपनी सास के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की जो कि काफी सफल रहा इतना ही नहीं बल्कि मुंबई में हमारी पहली प्रद र्शनी पूरी तरीके से बिक गई!
वही महारानी ने आगे कहा कि कभी-कभी लो से ही मान लेते हैं कि महारानी होने का मतलब केवल ताज पहन कर रखना होता है लेकिन हकीकत इस चमक-दमक से कोसो दूर है, मैंने पारंपारिक रूढ़ियों को तोड़ा और अपनी सीमाएं खुद बनाई है मैंने वही किया जिसकी उम्मीद लोगों ने मुझसे नहीं की थी यही विरासत में मैं अपनी बेटियों को दे रही है ताकि वह अपने तरीके से अपनी जिंदगी को जी सकें और किसी भी चीज का बिल्कुल भी पछतावा ना करें!